Monthly Archives: July 2015
Happy Friday from Yanis Varoufakis’s glorious shirt!
US wages just saw their lowest quarterly increase on record
Germany met 78% of its daily energy needs with renewables
Over 45% viewership growth for Season 2 of Star Sports Pro Kabaddi league
Quote for the day Saturday 1 August 2015 …
विशालकाय निहारिका टारान्टुला
मानव की कल्पना से भी विशालकाय निहारिका टारान्टुला ! यह निहारिका हमारी आकाशगंगा की उपग्रह आकाशगंगा(विशाल मेगेल्लेनिक बादल) मे १७०,००० प्रकाशवर्ष दूरी पर है। यह चित्र हब्बल दूरबीन द्वारा लिया गया है और उसके मध्य भाग को दिखा रहा है। यह निहारिका इतनी विशाल है कि हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला एक बार मे पूरी निहारिका का चित्र नही ले सकती है। इस निहारिका मे तेज गति से असंख्य तारो का जन्म हो रहा है।
चित्र पर क्लीक कर इसे अपने पूरे आकार मे देंखे।
इस चित्र मे गैस, धूल और तारे बेतरतीबी से बिखरे पड़े है। इनमे से कुछ तारे नवजात है। लेकिन इस चित्र के मध्य बाएं मे धागे जैसी संरचना पर ध्यान दें, यह सुपरनोवा विस्फोट के बाद संपिड़ित बादलो की परते है, यह तारा इस चित्र के मध्य मे विस्फोटित हुआ होगा। यह तारा विशालकाय रहा होगा जो अपनी छोटे जीवन को जीने के बाद विस्फोट से मृत्यु…
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अंतरिक्ष मे हीरो का हार!
हब्बल द्वारा लीया गया यह चित्र एक ग्रहीय निहारिका का है, जो किसी मृत तारे द्वारा एक महाविस्फोट से निर्मीत है। इस निहारिका के केन्द्र मे दो तारे एक दूसरे की परिक्रमा कर रहें है। इन मे से एक तारा का आकार उसकी मृत्यु के समय बड़ता गया, औअर वह इतना फूल गया कि दूसरा तारा उसके द्वारा लगभग निगला जा चुका था। इस प्रक्रिया मे दोनो तारो का गुरुत्विय संतुलन बिगड़ गया और बड़े तारे के अभिकेन्द्र बल(Centripetal Force) के कारण उसका सारा पदार्थ कई प्रकाश वर्ष चौड़ी तश्तरी(Disk) के रूप मे फैल गया। इसके पश्चात जब मृत होते हुये तारे मे विस्फोट हुआ उस तारे की बाह्य परतो के अलग हो जाने से गर्म आंतरिक केन्द्र सामने आ गया। इस आंतरिक केन्द्र के प्रकट होने से पराबैंगनी किरणो द्वारा गैस गर्म होने लगी और यह निहारिका एक नियान साइन के जैसे जगमगाने लगी।
इसे नियान साइन की बजाये…
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अंतरिक्ष मे वेलेंटाईन डे
W5 एक निहारिका है जो ६००० प्रकाश वर्ष दूर कैसीओपीया(Cassiopeia) तारामंडल की ओर है। यह विशालकाय है और आकाश मे 2×1.5 डीग्री तक चौड़ी है(पुर्ण चंद्रमा से १५ गुणा बड़ी)। इस निहारिका मे जो दिल का आकार बना है वह इस चित्र मे दिखायी दे रहे निले रंग के विशालकाय तारो द्वारा प्रवाहित गैसीय वायु द्वारा बनी हुयी एक गैस की कन्दरा है। इस जगह की गैस निले तारो ने बहा दी है। ये नये निले तारे इस महाकाय निहारिका के मध्य गैस का बुलबुला बना रहे है।
यह चित्र अवरक्त किरणो से लिया गया है और तारो का रंग निला नही है। यह प्रकाश ३.६ माइक्रान तरंगदैर्ध्य का है।
वृश्चिक नक्षत्र के डंक पर का बुलबुला
वृश्चिक नक्षत्र एक बिच्छू के जैसे ही लगता है जिसमे उसके पंजे तथा मुड़ा हुआ डंक भी शामील है। यदि इस नक्षत्र के डंक की ओर ध्यान से देंखे तो वहाँ एक बृहद तारो की जन्मस्थली अर्थात विशालकाय निहारीका है। इस निहारिका के सभी भागों को दृश्य प्रकाश मे नही देखा जा सकता है लेकिन यदि उसे अवरक्त(Infrared) प्रकाश मे देखा जाये तो वह आंखो के साथ मस्तिष्क को शीतल करने वाला दृश्य है।
यह RCW 120 नामक कई प्रकाशवर्ष चौड़ा , पृथ्वी से 4300 प्रकाशवर्ष दूर गैस का महाकाय बुलबुला है। यह चित्र स्पिट्जर अंतरिक्ष वेधशाला से लिया गया है। इस चित्र मे गैस की चमक अत्याधिक शीतल भाग को दर्शा रही है जिसका तापमान शून्य से कई सौ गुणा निचे है। यह एक कृत्रिम रंग(False Color Image) का चित्र है क्योंकि स्पिटजर अवरक्त किरणो से भी कम तरगंदैधर्य के चित्र ले सकता है जिसमे इस के जैसे पिंड भी चमकते है।
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