KAFILA - COLLECTIVE EXPLORATIONS SINCE 2006
अपना कार्यभार बढ़ाने के खिलाफ शिक्षक आन्दोलन कर रहे हैं . बहुत दिनों के बाद शिक्षकों में इस तरह की एकजुटता और उत्तेजना देखी जा रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ को पिछले दिनों अक्सर ऐसे सवालों पर भी, जो शिक्षकों के हित से सीधे जुड़े थे, आन्दोलन में संख्या की कमी से निराशा होती रही थी. इस बार शिक्षक पूरी तादाद में सड़क पर हैं. संघ की सभाओं में हाल खचाखच भरे हुए होते हैं. क्षोभजन्य उत्साह से आन्दोलन में नई ऊर्जा दीख रही है.
अपने पेशे के अवमूल्यन से शिक्षक आहत और क्रुद्ध हैं. काम के घंटे बढ़ाने के निर्णय ने अध्यापक के काम की विलक्षणता को ख़त्म कर दिया है, यह अहसास उनमें है. अलावा इसके, एक शिक्षक का काम बढ़ जाने के बाद यह कहा जा सकेगा कि अब चूँकि एक शिक्षक ही दो का काम करेगा, और पदों की आवश्यकता ही नहीं है.इसका असर उन…
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